सनातन न्यास फाउंडेशन का गठन 27 अक्टूबर 2023 को किया गया था। सनातन न्यास फाउंडेशन की स्थापना देवकीनंदन महाराज के आदर्शों और संगठन के उद्देश्यों के साथ हुई, जिन्होंने श्रीकृष्णजन्मभूमि के महत्व को समझा और उसके सरंक्षण के लिए एक निरंतर प्रयास करने का संकल्प लिया।
सनातन न्यास फाउंडेशन द्वारा दायर किए गए वाद को माननीय न्यायालय में सुनवाई के तहत लाया गया है। इस वाद के माध्यम से हमारा प्रयास है कि भगवान केशवदेव के मूर्तियों को उनके आवास पर पुनर्वापस किया जाए और उनके महत्व को समझा जाए। यह कानूनी लड़ाई हमारे समर्थकों और समाज के लिए महत्वपूर्ण है और हम पूरी मानवता के लिए इस यात्रा को जारी रखने का आग्रह करते हैं।
स्थान : यमुना खादर चौथा - पांचवा पुस्ता करतार नगर के सामने, खजूरी पुस्ता रोड, पश्चिमी घोड़ा, दिल्ली - ११००९४, दिनांक : १० नवम्बर २०२४
धर्मगुरु एवं धर्माचार्यों का सभी सनातनियों के लिये आह्वान
सनातन न्यास फाउंडेशन के तत्वावधान में सनातन धर्म संसद का आयोजन दिल्ली में किया जा रहा है, जिसमें लाखों की संख्या में शामिल होकर सनातनी अपनी शक्ति का प्रदर्शन करते हुए कृष्ण जन्मभूमि, सनातन बोर्ड एवं विभिन्न मांगों को रखेंगे।
12 सितम्बर 1978 को श्री कृष्ण जी की जन्मभूमि मथुरा के माॅंट क्षेत्र के ओहावा ग्राम में एक ब्राहम्ण परिवार में जन्में श्री देवकीनन्दन ठाकुर जी अपने बाल्यकाल से ही भारतीय संस्कृति और संस्कारों के संवाहक बने हुये हैं । ग्रामीण पृष्ठभूमि के माताजी श्रीमति अनसुईया देवी एंव पिताजी श्री राजवीर शर्मा जी से बृज की महत्ता और श्री कृष्ण भगवान की लोक कथाओं का वर्णन सुनते हुये आपका बालजीवन व्यतीत हुआ । राम-कृष्ण की कथाओं का प्रभाव आप पर इस कदर पड़ा कि प्रारम्भिक शिक्षा पूरी करने से पहले ही वृन्दावन की कृष्णलीला मण्डली में शामिल हो गये । यहाॅं श्री कृष्ण का स्वरूप निभाते कृष्णमय होकर आत्मिक शान्ति का अनुभव करने लगे। आप लीला मंचन में इतना खो जाते कि साक्षात कृष्ण प्रतिमा लगते । यहीं दशर्कों ने आपको ‘ठाकुर जी’ का सम्बोधन प्रदान किया । वृन्दावन में ही श्री वृन्दावनभागवतपीठाधीश्वर श्री पुरूषोत्तम शरण शास्त्री जी महाराज को गुरू रूप में प्राप्त कर प्राचीन शास्त्र-ग्रन्थों की शिक्षा प्राप्त की ।
मथुरा भारत का प्राचीन नगर है । यहां पर 500 ईसा पूर्व के प्राचीन अवशेष मिले हैं, जिससे इसकी प्राचीनता सिद्ध होती है । उस काल में शूरसेन देश की ये राजधानी हुआ करती थी । पौराणिक साहित्य में मथुरा को अनेक नामों से संबोधित किया गया है जैसे- शूरसेन नगरी, मधुपुरी, मधुनगरी, मधुरा आदि । उग्रसेन और कंस मथुरा के शासक थे जिस पर अंधकों के उत्तराधिकारी राज्य करते थे ।
मथुरा यमुना नदी के तट पर बसा एक मनमोहक सुंदर शहर है । मथुरा जिला उत्तर प्रदेश की पश्चिमी सीमा पर स्थित है । इसके पूर्व में जिला एटा, उत्तर में जिला अलीगढ़, दक्षिण-पूर्व में जिला आगरा, दक्षिण-पश्चिम में राजस्थान एवं पश्चिम उत्तर में हरियाणा राज्य स्थित हैं । मथुरा, आगरा मंडल का उत्तर-पश्चिमी जिला है । मथुरा जिले में चार तहसीलें हैं- मांट, छाता, महावन, और मथुरा तथा विकास खण्ड हैं- नंदगांव, छाता, चौमुहां, गोवर्धन, मथुरा, फरह, नौहझील, मांट, राया और बलदेव हैं ।
श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा के कारागार में हुआ था । पिता का नाम वासुदेव और माता का नाम देवकी । दोनों को ही कंस ने कारागार में डाल दिया था । उस काल में मथुरा का राजा कंस था, जो श्रीकृष्ण का मामा था । कंस को आकाशवाणी द्वारा पता चला कि उसकी मृत्यु उसी की बहन देवकी की आठवीं संतान के हाथों होगी । इसी डर के चलते कंस ने अपनी बहन और जीजा को आजीवन कारागार में डाल दिया था ।